किशन सिंह चौहान, देहरादून। दिव्यांग बच्चों के उत्थान एवं विकास को राजपुर रोड स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान में समावेशी शिक्षा पर दो दिनी राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ हुआ। जिसमें विभिन्न राज्यों से आए वक्ताओं ने दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा पर जोर दिया और विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि आरसीआई के पूर्व चेयरमैन प्रो. सुदेश मुखोपाध्याय ने कहा कि कोई भी निशक्त बच्चा सक्षम बच्चे से किसी मामले में पीछे नहीं है। बस जरूरत है इन्हें समुचित मंच व मार्गदर्शन देने की। उन्हें सहानुभूति के बजाए संबल देने की जरूरत है। इन बच्चों की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं, ऐसे विशेष बच्चों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उनकी शैक्षणिक जरूरतों को पूर्ण करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहे सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं की मदद ली जाए। अतिविशिष्ट अतिथि शिक्षा विभाग में एलीमेंट्री एजुकेशन के निदेशक वीरेंद्र सिंह रावत समावेशी शिक्षा को उत्तराखंड में बढ़ चढ़कर आगे बढ़ाने की बात कही। मुख्य वक्ता आईसीईवीआई पश्चिम एशिया के चेयरपर्सन डॉ. भूषण पुनानी ने कहा कि समावेशी शिक्षा के लिए मिलजुलकर कार्य करना होगा। इसी तरह विशेषज्ञ एक मंच पर बैठकर ऐसे बच्चों के लिए काम करें तो बेहतर होगा। आरसीआई, आईसीवीआई वेस्ट एशिया, साइटसेवर्स इंटरनेशनल, नेशनल ट्रस्ट, शिक्षा विभाग, रविन्दर भारती यूनिवर्सिटी और एनआईवीएच की ओर से आयोजित कांफ्रेंस में 14 राज्यों के 200 प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। इस दौरान संस्थान निदेशक नचिकेता राउत, आयोजन सचिव डॉ. पंकज कुमार, सभी विभागाध्यक्ष आदि मौजूद रहे।
शाम के कार्यक्रम में विशेष बच्चों एवं टीसीएबी के ट्रेनीज ने अपनी नृत्य, गायन समेत अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मन मोहा। जनसंपर्क अधिकारी नरेश नयाल ने बताया कि शनिवार को भी कांफ्रेंस में समावेशी शिक्षा पर विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे और कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।